Vakya sodhan

वाक्य शोधन (Vakya sodhan)

 

 वाक्य शोधन (Vakya sodhan)

यदि वाक्य में किसी प्रकार  की अशुद्धि होती है तो आपके द्वारा  बोले गए वाक्य का अर्थ बदल सकता है। सामने वाले व्यक्ति को आसानी से और सही-सही समझ आ सके उसके लिए आवश्यक है कि व्याकरण के नियमों की दृष्टि से ‘वाक्य’ शुद्ध हो। अत: वाक्य को व्याकरण के नियमों के अनुसार शुद्ध करना ही ‘वाक्य अशुद्धि शोधन’ कहलाता है।

 

हिंदी भाषा के उच्चारण या लेखन में मुख्यतः दो प्रकार की अशुद्धियां होती हैं।

  1. शब्द संबंधी अशुद्धियां-

उदाहरण

अशुद्ध वाक्य –हम सब को  प्रातः उठकर सूर्य को नमष्कार करना चाहिये। 

शुद्ध वाक्य  – हम सब को  प्रातः उठकर सूर्य को नमस्कार करना चाहिये।

अतः नमष्कार  शब्द अशुद्ध है इसके स्थान पर नमस्कार शब्द आएगा । 

 

  1. वाक्य संबंधी अशुद्धियां

अशुद्ध वाक्य – मुझे सफल होने की निराशा है।

शुद्ध वाक्य  – मुझे सफल होने की आशा नहीं है।

 

वाक्यों में अनेक प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं-

  1. वर्तनी संबंधी अशुद्धि – भाषाओं में , स–श, व–ब, न–ण आदि वर्णो में अर्थभेद नही किया जाता तथा इनके स्थान पर एक ही वर्ण स, ब या न बोला जाता है जबकि हिन्दी में  इन वर्णो की अलग–अलग अर्थ–भेदक ध्वनियाँ हैँ। अतः उच्चारण दोष के कारण इनके लेखन में अशुद्धि हो जाती है। जैसे –

अशुद्ध      शुद्ध

कोसिस – कोशिश

सीदा – सीधा

सबी – सभी

सोर – शोर

अराम – आराम

पाणी – पानी

बबाल – बवाल

पाठसाला – पाठशाला

शब – शव

निपुन – निपुण

प्रान – प्राण

 

  1. शब्द-अर्थ प्रयोग की अशुद्धि – कभी-कभी वाक्यों में सही शब्दों की जगह उनके ही सादृश लगने वाले शब्दों का प्रयोग अर्थ में परिवर्तन का कारण बन जाता है, जिसके कारण वाक्य का सही अर्थ ही बदल जाता है और यह वाक्य में शब्द-अर्थ प्रयोग की अशुद्धि कहलाती है।

उदाहरण अशुद्ध वाक्य – मैंने अपना ग्रहकार्य कर लिया है।

शुद्ध वाक्य – मैंने अपना गृहकार्य कर लिया है।

अशुद्ध वाक्य – मैं उपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे। 

शुद्ध वाक्य – मैं अपेक्षा करता हूँ कि तुम यह काम कर लोगे।

 

  1. लिंग संबंधी अशुद्धि – कभी-कभी वाक्यों में लिंग संबंधी गलत प्रयोग किए जाते हैं। ये वाक्य की लिंग संबंधी अशुद्धि कहलाती हैं। 

उदाहरण अशुद्ध वाक्य – आज तुमने नया पोशाक पहना है।

शुद्ध वाक्य –आज तुमने नई पोशाक पहनी है।

अशुद्ध वाक्य – मुझे तुम्हारा बातें सुनना पड़ा।

शुद्ध वाक्य – मुझे तुम्हारी बातें सुननी पड़ी।

अशुद्ध वाक्य – उसने मीठी दही खाई। 

शुद्ध वाक्य – उसने मीठा दही खाया। 

 

  1. वचन संबंधी अशुद्धि – कभी-कभी देखा गया है कि वाक्यों में वचन संबंधी गलत प्रयोग भी किए जाते हैं। इन्हें वाक्य की वचन संबंधी अशुद्धि कहा जाता है। 

उदाहरण –अशुद्ध वाक्य – भारत में अनेकों राज्य हैं।

शुद्ध वाक्य – भारत में अनेक राज्य हैं।

अशुद्ध वाक्य – प्रत्येक वृक्ष फल नहीं देते हैं।

शुद्ध वाक्य – प्रत्येक वृक्ष फल नहीं देता है।

अशुद्ध वाक्य – लड़कियों ने कहा कि वह कमरे में बैठेंगी।

शुद्ध वाक्य – लड़कियों ने कहा कि वे कमरे में बैठेंगी।

  1. पदक्रम संबंधी अशुद्धियाँ – वाक्य में व्याकरण के अनुसार पदों का क्रमबद्ध होना बहुत अधिक आवश्यक है। पदों के उचित क्रम में न होने पर उसके भाव या अर्थ में स्पष्टता नहीं रहती और इसे वाक्य की पदक्रम संबंधी अशुद्धियाँ कहा जाता है। 

उदाहरण – अशुद्ध वाक्य – गाय का ताकतवर दूध होता है।

शुद्ध वाक्य – गाय का दूध ताकतवर होता है।

अशुद्ध वाक्य – अपनी बात आपको मैं बताता हूँ।

शुद्ध वाक्य – मैं आपको अपनी बात बताता हूँ।

अशुद्ध वाक्य – आज मैंने गर्म दूध भैंस का पिया। 

शुद्ध वाक्य – आज मैंने भैंस का गर्म दूध पिया।

 

  1. पुनरावृत्ति की अशुद्धियाँ/पुनरुक्ति दोष  – एक ही वाक्य में जब एक ही अर्थ/भाव को प्रकट करने वाले दो शब्दों का प्रयोग कर दिया जाता है तो वाक्य अशुद्ध हो जाता है।

उदाहरण – अशुद्ध वाक्य – प्रधानमंत्री जनता के हितकर कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं।

शुद्ध वाक्य – प्रधानमंत्री जनता के कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं।

अशुद्ध वाक्य – वह बहुत जल्दी वापस लौट आया।

शुद्ध वाक्य – वह बहुत जल्दी लौट आया।

अशुद्ध वाक्य – जयपुर में कई दर्शनीय स्थल देखने योग्य हैं।

शुद्ध वाक्य – जयपुर में कई दर्शनीय स्थल हैं।

 

  1. विरामचिह्न संबंधी अशुद्धियाँ – कभी-कभी वाक्य में विराम चिह्न संबंधी अशुद्धियाँ भी होती हैं। जिसके कारण वाक्य को समझने में बहुत अधिक कठिनाई होती है। ये वाक्य की विरामचिह्न संबंधी अशुद्धियाँ कहलाती है।

उदारहण –अशुद्ध वाक्य हाँ मेरा यही विचार है। 

शुद्ध वाक्य हाँ, मेरा यही विचार है। 

अशुद्ध वाक्य नहीं कल मैं तुम्हारे घर नहीं आ सकूँगा।

शुद्ध वाक्य नहीं! कल मैं तुम्हारे घर नहीं आ सकूँगा। 

अशुद्ध वाक्य धीरे धीरे ध्यान से चलो।

शुद्ध वाक्य धीरे-धीरे ध्यान से चलो।

 

  1. संज्ञा संबंधी अशुद्धियाँ –  संज्ञा पद के प्रयोग में प्राय: दो प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं – i) अनावश्यक संज्ञा पदों का प्रयोग ii) अनुपयुक्त संज्ञा पदों का प्रयोग

 

 i)अनावश्यक संज्ञा पदों का प्रयोग–ऐसे संज्ञा पद जिनकी आवश्यकता न हो पर उनका प्रयोग किया जाए तो वहाँ अनावश्यक संज्ञा पदों की अशुद्धियाँ हो जाती हैं।

उदाहरण – अशुद्ध वाक्य – मैं मंगलवार के दिन व्रत रखता हूँ।

शुद्ध वाक्य – मैं मंगलवार को व्रत रखता हूँ।

अशुद्ध वाक्य – मैं प्रातःकाल के समय पढ़ता हूँ। 

शुद्ध वाक्य – मैं प्रातःकाल पढ़ता हूँ। 

अशुद्ध वाक्य – उत्साह नामक शीर्षक निबंध अच्छा है।

शुद्ध वाक्य –उत्साह शीर्षक निबंध अच्छा है।

 

ii)अनुपयुक्त संज्ञा पदों का प्रयोग – ऐसे संज्ञा पदों का प्रयोग जो उस वाक्य के लिए अनुपयुक्त अर्थात गलत हों उनके प्रयोग के कारण वाक्य में अनुपयुक्त संज्ञा पदों की अशुद्धियाँ हो जाती हैं।

उदाहरण – अशुद्ध वाक्य- महिला अपने चीर धो रही है। 

शुद्ध वाक्य –  महिला अपने वस्त्र धो रही है। 

अशुद्ध वाक्य – गले में गुलामी की बेड़ियाँ पड़ी रही।

शुद्ध वाक्य – पैरो में गुलामी की बेड़ियाँ पड़ी रही।

अशुद्ध वाक्य – निर्भय और सौरभ घोर मित्र है। 

शुद्ध वाक्य – निर्भय और सौरभ घनिष्ठ मित्र है। 

 

  1. सर्वनाम संबंधी अशुद्धियाँ – हिंदी में कभी-कभी सर्वनामों के अशुद्ध रूप तथा अनुपयुक्त स्थान प्रयोग भी होते हैं।

उदाहरण – अशुद्ध वाक्य – दिलीप और दिलीप का पुत्र काशी गए हैं।

शुद्ध वाक्य – दिलीप और उसका पुत्र काशी गए हैं।

अशुद्ध वाक्य – यह उनकी समझ में नहीं आएगा। 

शुद्ध वाक्य – यह उनके समझ में नहीं आएगा।

अशुद्ध वाक्य – मैं स्वयं खुद वहाँ जाना चाहता हूँ।

शुद्ध वाक्य – मैं स्वयं वहाँ जाना चाहता हूँ।

 

  1. विशेषण संबंधी अशुद्धियाँ – विशेषण का प्रयोग विशेष्य (संज्ञा व सर्वनाम) के लिंग और वचन के अनुसार किया जाता है। वाक्य में कई बार अनावश्यक, अनियमित व अनुपयुक्त विशेषण का प्रयोग हो जाता है। जो वाक्य को अशुद्ध कर देते हैं।

उदाहरण – अशुद्ध वाक्य – आज उनके गुप्त रहस्य का राज खुला। 

शुद्ध वाक्य –  आज उनके गुप्त रहस्य का राज खुला। 

अशुद्ध वाक्य – तुम बहुत धीरे स्वर में बोलते हो। 

शुद्ध वाक्य –   तुम धीरे स्वर में बोलते हो। 

अशुद्ध वाक्य – धोबिन ने अच्छी चादरें धोईं।

शुद्ध वाक्य – धोबिन ने चादरें अच्छी धोईं।

 

  1. क्रिया संबंधी अशुद्धि – वाक्य में क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग एवं वचन के अनुसार किया जाता है अन्यथा वह वाक्य अशुद्ध समझा जाता है। इस अशुद्धि को वाक्य की क्रिया संबंधी अशुद्धि कहा जाता है।

उदाहरण – अशुद्ध वाक्य – अपना हस्ताक्षर लगा दो। 

शुद्ध वाक्य – अपना हस्ताक्षर कर दो। 

अशुद्ध वाक्य – हमें यह सावधानी लेनी होगी। 

शुद्ध वाक्य – हमें यह सावधानी बरतनी होगी। 

अशुद्ध वाक्य – वहाँ घना अँधेरा घिरा था।

शुद्ध वाक्य – वहाँ घना अँधेरा छाया था। 

 

  1. क्रियाविशेषण संबंधी अशुद्धियाँ – क्रियाविशेषण संबंधी अनेक अशुद्धियाँ देखने को मिलती हैं। विशेष रूप से इसका अनावश्यक, अशुद्ध, अनुपयुक्त तथा अनियमित प्रयोग भाषा को अशुद्ध बनाता है। 

उदाहरण – अशुद्ध वाक्य – स्वभाव के अनुरूप तुम्हें यह कार्य करना चाहिए।

शुद्ध वाक्य –स्वभाव के अनुकूल तुम्हें यह कार्य करना चाहिए।

अशुद्ध वाक्य – भिखारी को थोड़ा चावल दे दो।

शुद्ध वाक्य – भिखारी को थोड़े चावल दे दो।

अशुद्ध वाक्य – वहाँ चारों ओर बड़ा अंधकार था।

शुद्ध वाक्य –  वहाँ चारों ओर घना अंधकार था।

 

  1. कारक संबंधी अशुद्धियाँ – वाक्यों में कारक संबंधी गलत प्रयोग भी किए जाते हैं, जिस कारण वाक्य अशुद्ध हो जाता है। इन अशुद्धियों को कारक संबंधी अशुद्धियाँ कहा जाता है।

उदाहरण – अशुद्ध वाक्य –निर्भय आज ऑफिस से अनुपस्थित है। 

शुद्ध वाक्य – निर्भय आज ऑफिस में अनुपस्थित है।

अशुद्ध वाक्य –  वह बस पर यात्रा कर रहा है।

शुद्ध वाक्य – वह बस से यात्रा कर रहा है।

अशुद्ध वाक्य –आज बजट के ऊपर बहस होगी।

शुद्ध वाक्य –आज बजट पर बहस होगी।

 

error: Content is protected !!
Scroll to Top