Sarvanam

सर्वनाम (Sarvanam)की परिभाषा

 

सर्वनाम (Sarvanam) की परिभाषा – संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। यह संज्ञा के बार-बार प्रयोग से हमे बचाता है। संज्ञा का अर्थ होता है ‘सबका नाम’। संज्ञा केवल उसी नाम का बोध कराती है, जिसका वह नाम है लेकिन सर्वनाम सबके नाम का बोध होता है। जैसे –  सीता, मोहन, रवि, मोनिका कहने से केवल इस नामवाली का बोध होगा किन्तु ये सभी अपने लिए मैं का प्रयोग करते हैं तो मैं इन ‘सबका नाम’ होगा। हिंदी में मूलतः 11 सर्वनाम  होते है – मै, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कौन, क्या, कोई, कुछ। 

उदाहरण –  1. तुम कहाँ जा रही हो? 2.  सुनील और उसकी बहन बाज़ार जा रहे है। 

प्रयोग के अनुसार सर्वनाम के 6 भेद होते  हैं, जो इस प्रकार है  – 

 

1-पुरुषवाचक सर्वनाम –  जिस सर्वनाम का प्रयोग वक्ता या कहने वाला यानि स्वयं (उत्तम पुरुष) अथवा सुननेवाले यानि श्रोता (मध्यम पुरुष) अथवा जिसके बारे में बात की जाये या अन्य व्यक्ति (अन्य पुरुष) के लिए प्रयुक्त करते है, उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है । 

पुरुष वाचक सर्वनाम के तीन भेद होते हैं  -(i) उत्तम पुरुष  (ii)  मध्यम पुरुष  (iii) अन्य पुरुष । 

 

(i) उत्तम पुरुष – जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता अपने स्वयं के लिए करता है, उन्हें उत्तम पुरुष सर्वनाम कहते हैं। जैसे- मैं, हम, मुझे, मैंने, हमें, मेरा ,मुझको। उदाहरण :  मैं खाना चाहता हूँ। हमे कक्षा में पहला स्थान पसंद है। मैंने तुझे देखा है । 

 

(ii) मध्यम पुरुष – जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता , सुनने वाले के लिए करता है, उन्हें मध्यम पुरुष सर्वनाम कहते हैं। जैसे- तू, तुम,  तुमको, तुझे, आप, आपको, आपके । उदाहरण : मैंने तुझे देखा है। आपका स्वागत किया जाता है। मैं आपको कुछ सुनाना चाहता हूँ । 

 

(iii). अन्य पुरुष – जिस सर्वनाम शब्दों के प्रयोग से वक्ता और श्रोता का संबंध ना होकर किसी अन्य का संबोधन प्रतीत हो। वह शब्द अन्य पुरुष सर्वनाम कहलाता है।  जैसे – वह, यह, उन, उनको, उनसे, इन्हें, उन्हें, उसके, उसने ।  उदाहरण : वह कल जम्मू गया था। यह मेरा दफ्तर है। इन्हें विधानसभा जाना है। 

 

2 – निश्चयवाचक सर्वनाम – जिस सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित व्यक्ति अथवा वस्तु की ओर निकटवर्ती अथवा दूरवर्ती संकेत का बोध होता है, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते है।  जैसे – यह, वह, इस, उस, ये, वे। उदाहरण : यह कुर्सी मेरी है। मुझे ये किताब पसंद है। इस टेबल पर नहीं  बैठना । 

इसके मुख्य दो प्रयोग हैं – निकट की वस्तुओं के लिए – यह, ये। दूर की वस्तुओं के लिए – वह, वे।

 

3 – अनिश्चयवाचक सर्वनाम- जिस सर्वनाम से किसी निश्चित व्यक्ति या पदार्थ का बोध नहीं होता, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। 

जैसे- कोई, कुछ। उदाहरण : कोई आ रहा है। कुछ ला दीजिए। 

 

4  – संबंधवाचक सर्वनाम – जिन सर्वनाम शब्दों से किसी वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा शब्दों अथवा सर्वनाम शब्दों के मध्य संबंध का बोध होता है, उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे – जो-सो, जितना-उतना, जैसा-वैसा। उदाहरण : जो सोयेगा, सो खोयेगा जितना कर्म करोगे, उतना जल्दी लक्ष्य मिलेगा। जैसा काम करोगे, वैसा फल मिलेगा।

 

5 -प्रश्नवाचक सर्वनाम- जिस सर्वनाम का उपयोग करके किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु इत्यादि के बारे में प्रश्न पूछा जाता है, उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे -: कौन, किन्हें, किस, क्या, कैसे कहाँ। उदाहरण : दरवाजे पर कौन आया है ? आप किसे ढूंढ रहे है ? आपको क्या चाहिए?

 

6 – निजवाचक सर्वनाम- जिस सर्वनाम का प्रयोग वक्ता (कर्ता) या लेखक स्वयं अपने लिए करते हैं, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते है जैसे: आप, अपने–आप, खुद, निज, स्वतः, स्वयं। उदाहरण : मैं ये काम अपने-आप कर लूंगा ( इस वाक्य में वक्ता अपने -आप शब्द को मैं के लिए प्रयोग कर रहा है)। मैं इस काम को स्वयं कर लूँगा। 

 

संयुक्त सर्वनाम : संयुक्त सर्वनाम का उल्लेख दीमशिन्स ने किए थे। क्योंकि उनमें एक शब्द नहीं, बल्कि एक से अधिक शब्द होते हैं। यह  स्वतंत्र रूप से या संज्ञा शब्दों के साथ भी प्रयुक्त होता है। जैसे – जो कोई, कोई और, जो कुछ, सब कुछ, और कुछ, कोई भी, कुछ एक, कुछ भी, कोई-न कोई, कुछ-कुछ आदि। जब ‘यह’, ‘वह’, ‘जो’, ‘सो’, ‘कोई’, ‘कुछ’ अकेले आते है तो सर्वनाम होते है और जब किसी संज्ञा के साथ आते है तो विशेषण हो जाते है। जैसे – वह आ गई (‘वह’ सर्वनाम है )। वह किताब कैसी है (‘वह’ विशेषण है)। 

 

सर्वनाम  का रूपांतरसर्वनाम का रूपांतर पुरुष वचन और कारक के अनुसार होता है। इसका रूपांतर लिंग के अनुसार नहीं होता है।

 

उदाहरण –     1.  मैं (राम) खाता हूँ ।

  1.   वह (लड़का) पढ़ता है।

स्पष्टीकरण – जैसा कि सर्वनाम (मैं, वह) पर लिंग का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

 

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