अव्यय /Avyay in Hindi
शब्द /विकारी शब्द, अविकारी/अव्यय शब्द(Avyay in Hindi)
शब्द :– एक या एक से अधिक वर्णों से बने सार्थक ध्वनि समूह को शब्द कहते हैं, जिसका कुछ अर्थ निकलता हो। जैसे – दिनेश, संतरा, मेज, कुर्सी आदि।
शब्दों को निम्न आधार पर वर्गीकृत किया गया है –
- उत्पत्ति के आधार पर
- रचना के आधार पर
- रूपांतर अर्थात प्रयोग के आधार पर
- अर्थ के आधार पर
- शब्द शक्ति के आधार पर
(1) उत्पति के आधार पर शब्द के भेद– तद्भव, तत्सम, देशज, विदेशज ,संकर शब्द ।
तत्सम शब्द – कुछ ऐसे संस्कृत भाषा के शब्द, जिनका प्रयोग हिंदी भाषा में ज्यों का त्यों किया जाता है, उन्हें ही तत्सम शब्द कहते हैं।
उदाहरण – प्रातः, फल, अग्नि, पर्वत, कृषि, प्राणी, ह्रदय, सृष्टि, महान, ब्राह्मण, नदी, साधु, स्नेह इत्यादि।
तद्भव शब्द – संस्कृत भाषा के कुछ ऐसे शब्द हैं, जो समय के साथ बदलाव होने से हिंदी व्याकरण के शब्द हो गए हैं, उन्हें ही तद्भव शब्द कहते हैं।
उदाहरण – आम, हवा, सूरज, फूल इत्यादि।
देशज शब्द – ऐसे शब्द जो क्षेत्रीय अथवा स्थानीय भाषा में आवश्यकतानुसार अत्यधिक प्रचलित होते हैं, उन्हें देशी/ देशज शब्द कहते हैं।
उदाहरण – लोटा, कटोरा, डोंगा, डिबिया, खिचड़ी, खिड़की, पगड़ी, जूता, ठेठ, ठुमरी, तेंदुआ, फुनगी, कलाई आदि ।
विदेशज शब्द – ऐसे शब्द जो विदेशों से लिए गए है और इन शब्दों का प्रयोग हिन्दी भाषा में बहुतायत से किया जाता है। विदेशी शब्द अरबी,फारसी,तुर्की,अँग्रेजी इत्यादि भाषाओं से लिए गए है।
अंग्रेजी – कॉलेज, पेंसिल, रेडियो, टेलीविजन, डॉक्टर, लेटर बॉक्स, पेन, टिकट, मशीन, सिगरेट, साइकिल , बोतल , फोटो, डॉक्टर, स्कूल आदि।
फ़ारसी – अनार, चश्मा, जमींदार, दुकान, दरबार, नमक, नमूना, बीमार, बर्फ, रूमाल, आदमी, चुगलखोर, गंदगी, चापलूसी आदि।
अरबी – औलाद, अमीर, कत्ल, कलम, कानून, खत, फकीर, रिश्वत,औरत, कैदी, मालिक, गरीब आदि।
तुर्की – कैंची, चाकू, तोप, बारूद, लाश, दारोगा, बहादुर आदि।
पुर्तगाली – अचार, आलपीन, कारतूस, गमला, चाबी, तिजोरी, तौलिया, फीता, साबुन, तंबाकू, कॉफी, कमीज आदि।
फ्रांसीसी – पुलिस, कार्टून, इंजीनियर, कर्फ्यू, बिगुल आदि।
चीनी – तूफान, लीची, चाय, पटाखा आदि।
यूनानी – टेलीफोन, टेलीग्राफ, ऐटम, डेल्टा आदि।
जापानी – रिक्शा , सायोनारा आदि।
डच – तुरुप, बम, ड्रिल आदि।
तिब्बती – लामा, डाँडी आदि ।
संकर शब्द – वे शब्द जो दो अलग-अलग भाषाओं के शब्दों को मिलाकर बना हैं।
उदाहरण – रेलयात्री – रेल (अंग्रेजी) + यात्री (हिन्दी), टिकट घर – टिकट (अंग्रेजी)+ घर(हिंदी) ,उद्योगपति – उद्योग (संस्कृत) + पति (हिंदी) आदि ।
(2) बनावट / रचना के आधार पर शब्द के भेद-
रूढ़ शब्द – जिन शब्दों के सार्थक खंड नहीं किए जा सकते है, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। रूढ़ शब्द की विशेषता यह होती है कि इसमें संधि, समास, उपसर्ग एवं प्रत्यय नहीं होता है।
उदाहरण – नल, दिन, दीपक, कान, स्त्री, दूध, गाय, रोटी, पेड़, पत्थर, देवता, मेंढक, पीला, झट, पर, आकाश इत्यादि।
यौगिक शब्द – जिन शब्दों के सार्थक खंड या टुकड़े किए जा सकते हैं, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं। संधि, उपसर्ग, प्रत्यय से बने हुए शब्द यौगिक शब्द ही होते हैं।
उदाहरण – विद्यालय, प्रेमसागर, प्रतिदिन, दूधवाला, अपमान, रसोईघर, माता– पिता आदि।
योगरूढ शब्द – वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों के योग से बने होते हैं, और ये शब्द अपने सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ का बोध कराते हैं। बहुब्रीहि समास के समस्त पद योगरूढ़ शब्द के उदाहरण होते हैं।
उदाहरण – दशानन, गजानन, जलज, लम्बोदर, त्रिनेत्र, चतुर्भुज, घनश्याम, चक्रधर, चक्रपाणि इत्यादि।
(3) रूप / प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद –
विकारी शब्द – जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक, पुरुष, काल के द्वारा परिवर्तन किया जा सकता है।
विकारी शब्द के चार भेद हैं – (i) संज्ञा (ii) सर्वनाम (iii) विशेषण (iv) क्रिया
उदाहरण – मैं ~ मेरा ~ मुझसे ~ मुझे , तुम ~ तुम्हारा ~ तुम्हें ~ तुमसे, अच्छा ~ अच्छे
अविकारी/अव्यय शब्द – जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, कारक, पुरुष व काल द्वारा कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है ।
उदाहरण – जब, तब, अभी, उधर, वहाँ, इधर, कब, क्यों, वाह, आह, ठीक, अरे, और, तथा, एवं, किन्तु, परन्तु, बल्कि, इसलिए आदि ।
अविकारी/अव्यय शब्द के पांच भेद हैं-
- क्रिया – विशेषण
- समुच्चय बोधक
- संबंध बोधक
- विस्मयादि बोधक
- निपात
- क्रिया विशेषण – वे अव्यय/अविकारी शब्द जो क्रिया की विशेषता बताते हैं , उन्हें क्रिया विशेषण अव्यय कहते हैं।
जैसे :- धीरे-धीरे , जल्दी-जल्दी, वहाँ, कम, ज्यादा, आज, कल, इत्यादि।
उदाहरण – राहुल तेज़ दौड़ता है। राम धीरे-धीरे टहलता है। सुमन सुंदर लिखती है।
स्पष्टीकरण – उपरोक्त वाक्य में तेज़ , धीरे-धीरे तथा सुंदर के द्वारा क्रिया की विशेषता बताई जा रही है।
क्रिया विशेषण अव्यय चार प्रकार के होते है –
- काल बोधक क्रिया विशेषण अव्यय
- स्थान बोधक क्रिया विशेषण अव्यय
iii. रीति बोधक क्रिया विशेषण अव्यय
- परिमाण बोधक क्रिया विशेषण अव्यय
- समुच्चय बोधक अव्यय – वे अव्यय शब्द जो दो शब्दों या दो वाक्यों को जोड़ने या अलग करने का कार्य करते हैं। उन्हें समुच्चय बोधक अव्यय कहते हैं। जैसे – किन्तु, तथा, यदि, और, मगर, चाहें, लेकिन, हालांकि आदि।
उदाहरण – राजेश ने कठिन मेहनत की और सफल हुआ। सुनील निकम्मा है इसलिए सब उससे घृणा करते है।
स्पष्टीकरण – इन वाक्यों में इसलिए, और, एक दूसरे को जोड़ते है इसलिए इन शब्दों को समुच्चय बोधक अव्यय कहते है
समुच्चय बोधक अव्यय दो प्रकार के होते हैं –
- समानाधिकरण समुच्चय बोधक
- व्यधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय
- संबंध बोधक अव्यय – जो अव्यय शब्द संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर वाक्य में दूसरे शब्दों से उसका संबंध बताते हैं, उन्हें ‘संबंधबोधक’ या ‘परसर्ग’ कहते हैं;
जैसे – पहले, सामने, आगे, पास, द्वारा, बिना, ऊपर, नीचे, भीतर, अंदर, ओर, मध्य, बीच में, बाद, निकट, कारण आदि।
उदाहरण – छत के उपर राम खड़ा है। शीत के कारण गरीब का बुरा हाल था।
स्पष्टीकरण – इन वाक्यों में जो शब्द के बाद,, के उपर, कारण आदि संबंध बोधक अव्यय का काम कर रहें है ।
संबंधबोधक अव्यय के कुल आठ भेद हैं –
i.कालबोधक अव्यय
ii.स्थानबोधक अव्यय
iii.दिशाबोधक अव्यय
iv.साधनबोधक अव्यय
v.विषयबोधक अव्यय
vi.सादृश्यबोधक अव्यय
vii.मित्रताबोधक अव्यय
viii.विरोधबोधक अव्यय
- विस्मयादि बोधक अव्यय – वह शब्द जिससे हर्ष अर्थात खुशी, शोक अर्थात दुख, आश्चर्य, आशीर्वाद इत्यादि जैसे भावनाओं का आकस्मिक भाव प्रकट हो विस्मयादिबोधक अव्यय कहलाता है।
पहचान :- जिनके पीछे विस्मयादि बोधक चिह्न (!) लगा हो वो विस्मयादि बोधक अव्यय होते है।
जैसे – अरे!, खुश रहो!, हाय!, शाबाश!, काश !, बहुत अच्छा!, वाह! वाह!, ओह!, छी! छी!, क्या! इत्यादि।
उदाहरण – हे राम! उनकी आत्मा को शांति देना। बाप रे बाप! मैं तो मर ही जाऊंगा!
विस्मयादिबोधक के कुल दस प्रकार होते हैं –
- शोक बोधक
- तिरस्कार बोधक
iii.स्वीकृति बोधक
- संबोधन बोधक
- हर्ष बोधक
vi.भय बोधक
vii.आशीर्वाद बोधक
viii.अनुमोदन बोधक
- विदास बोधक
- विवशता बोधक
- निपात – वे सहायक पद जो वाक्य में नवीनता व चमत्कार उत्पन्न कर देते हैं । निपात का कार्य शब्द समूह में बल प्रदान करना है । निपात सहायक पद होते हुए भी वाक्य का अंग नहीं होते है। मत, सा, जी आदि शब्द निपात वाक्यों में आते है
उदाहरण – राम ने ही रावण को मारा था। रमेश भी दिल्ली जाएगा।
स्पष्टीकरण – इन वाक्यों में ही, भी, आदि शब्द निपात के अव्यय है।
(4) अर्थ के आधार पर शब्द के भेद:-
सार्थक शब्द – ऐसे शब्द जिनका कुछ ना कुछ अर्थ जरूर होता है उसे सार्थक शब्द कहते हैं।
उदाहरण – दुकान, वेबसाइट, इंटरनेट, कंप्यूटर, कार, घर, खाना, मैं, तुम, हम, स्कूल, विश्वविद्यालय, रोटी, कपड़ा, मकान, इत्यादि।
निरर्थक शब्द – ऐसे शब्द जिनका कुछ भी अर्थ होता ही नहीं है, उन्हें निरर्थक शब्द कहते हैं।
उदाहरण – धम्म, टन्न, फट, चटाचट, ढिचकिया, ठक इत्यादि।
पर्यायवाची/समानार्थी शब्द – समान अर्थ बताने वाले शब्द पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
विलोम/विपरीतार्थक शब्द: जो शब्द एक-दूसरे का विपरीत अर्थ प्रकट करते हैं, वे विलोम शब्द कहलाते हैं।
उदाहरण : जीवन -मरण, खाना -पीना, अमृत-जहर, लेना-देना।
समरूप भिन्नार्थक शब्द – वर्तनी में भी सूक्ष्म अंतर के कारण जो शब्द सुनने में एक जैसे लगते हैं, परंतु भिन्न अर्थ देते हैं, वे समरूप-भिन्नार्थक शब्द कहलाते हैं।
वाक्यांशों के लिए एक शब्द – जिन शब्दों का प्रयोग वाक्यांश अथवा अनेक शब्दों के स्थान पर किया जाता है, वाक्यांश के लिए एक शब्द अथवा अनेक शब्दों के लिए एक शब्द कहलाते हैं।
अनेकार्थी शब्द – जो शब्द एक से अधिक अर्थ देते हैं, वे अनेकार्थक शब्द कहलाते हैं। ये शब्द संदर्भ या स्थिति के अनुसार अर्थ देते हैं।
उदाहरण : लायक, पीड़ा, शरीर, माया, मोक्ष
एकार्थी शब्द – जिन शब्दों का केवल एक ही अर्थ होता है, उन्हें एकार्थक शब्द कहते हैं। इनका प्रयोग केवल एक ही अर्थ में किया जाता है।
उदाहरण : नरेश, मनीष, हितेश, मुकेश, मनिका, मित्तल वगेरा
(5) शब्द शक्ति के आधार पर
शब्द शक्तियों – प्रत्येक शब्द से जो अर्थ निकलता है, उसका बोध कराने वाली शक्ति शब्द शक्ति कहलाती है।
शब्द शक्तियों के तीन भेद हुए-
- वाच्यार्थ पर आधारित शब्द शक्ति- अभिधा
- लक्ष्यार्थ पर आधारित शब्द शक्ति- लक्षणा
- व्यंग्यार्थ पर आधारित शब्द शक्ति – व्यंजना