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Toggleलोकोक्तियाँ (Lokoktiyan)
लोकोक्तियाँ एवं कहावतें
- बाँझ का जाने प्रसव की पीड़ा अर्थः पीड़ा को सहकर ही समझा जा सकता है।
- बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे अर्थः रक्षक का भक्षक हो जाना।
- बाप भला न भइया, सब से भला रूपइया अर्थः धन ही सबसे बड़ा होता है।
- बाप न मारे मेढकी, बेटा तीरंदाज़ अर्थः छोटे का बड़े से बढ़ जाना।
- बाप से बैर, पूत से सगाई अर्थः पिता से दुश्मनी और पुत्र से लगाव।
- बारह गाँव का चौधरी अस्सी गाँव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी-तैसी में जाव अर्थः बड़ा होकर यदि किसी के काम न आए, तो बड़प्पन व्यर्थ है।
- बारह बरस पीछे घूरे के भी दिन फिरते हैं अर्थः एक न एक दिन अच्छे दिन आ ही जाते हैं।
- बासी कढ़ी में उबाल नहीं आता अर्थः काम करने के लिए शक्ति का होना आवश्यक होता है।
- बासी बचे न कुत्ता खाय अर्थः जरूरत के अनुसार ही सामान बनाना।
- बिंध गया सो मोती, रह गया सो सीप अर्थः जो वस्तु काम आ जाए वही अच्छी।
- बिच्छू का मंतर न जाने, साँप के बिल में हाथ डाले अर्थः मूर्खतापूर्ण कार्य करना।
- बिना रोए तो माँ भी दूध नहीं पिलाती अर्थः बिना यत्न किए कुछ भी नहीं मिलता।
- बिल्ली और दूध की रखवाली? अर्थः भक्षक रक्षक नहीं हो सकता।
- बिल्ली के सपने में चूहा अर्थः जरूरतमंद को सपने में भी जरूरत की ही वस्तु दिखाई देती है।
- बिल्ली गई चूहों की बन आयी अर्थः डर खत्म होते ही मौज मनाना।
- बीमार की रात पहाड़ बराबर अर्थः खराब समय मुश्किल से कटता है।
- बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम अर्थः वय के हिसाब से ही काम करना चाहिए।
- बुढ़ापे में मिट्टी खराब अर्थः बुढ़ापे में इज्जत में बट्टा लगना।
- बुढि़या मरी तो आगरा तो देखा अर्थः प्रत्येक घटना के दो पहलू होते हैं – अच्छा और बुरा।
- लिखे ईसा पढ़े मूसा अर्थः गंदी लिखावट।
- अंडा सिखावे बच्चे को कि चीं-चीं मत कर अर्थः जब कोई छोटा बड़े को उपदेश दे।
- अन्त भले का भला अर्थः जो भले काम करता है, अन्त में उसे सुख मिलता है।
- अंधा क्या चाहे, दो आंखे अर्थः आवश्यक या अभीष्ट वस्तु अचानक या अनायास मिल जाती है।
- अंधा बांटे रेवड़ी फिर-फिर अपने को ही दे अर्थः अधिकार पाने पर स्वार्थी मनुष्य अपने ही लोगों और इष्ट-मित्रों को ही लाभ पहुंचाते हैं।
- अंधा सिपाही कानी घोड़ी, विधि ने खूब मिलाई जोड़ी अर्थः जहां दो व्यक्ति हों और दोनों ही एक समान मूर्ख, दुष्ट या अवगुणी हों।
- अंधी पीसे, कुत्ते खायें अर्थः मूर्खों को कमाई व्यर्थ नष्ट होती है।
- अंधे के आगे रोवे, अपना दीदा खोवे अर्थः मूर्खों को सदुपदेश देना या उनके लिए शुभ कार्य करना व्यर्थ है।
- अंधे को अंधेरे में बहुत दूर की सूझी अर्थः जब कोई मूर्ख मनुष्य बुद्धिमानी की बात कहता है।
- अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा अर्थः जहां मालिक मूर्ख होता है, वहां गुण का आदर नहीं होता।
- अंधों में काना राजा अर्थः मूर्खों या अज्ञानियों में अल्पज्ञ लोगों का भी बहुत आदर होता है।
- अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग अर्थः कोई काम नियम-कायदे से न करना।
- अपनी पगड़ी अपने हाथ अर्थः अपनी इज्जत अपने हाथ होती है।
- अमानत में खयानत अर्थः किसी के पास अमानत के रूप में रखी कोई वस्तु खर्च कर देना।
- अस्सी की आमद, चौरासी खर्च अर्थः आमदनी से अधिक खर्च।
- अति सर्वत्र वर्जयेत् अर्थः किसी भी काम में हमें मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
- अपनी करनी पार उतरना – अपने किए का फल भोगना
- अंत भला तो सब भला अर्थः परिणाम अच्छा हो जाए तो सब कुछ माना जाता है।
- अंधे की लकड़ी अर्थः बेसहारे का सहारा
- अपना रख पराया चख अर्थः निजी वस्तु की रक्षा एवं अन्य वस्तु का उपभोग
- अच्छी मति जो चाहो बूढ़े पूछन जाओ अर्थः बड़े बूढ़ों की सलाह से कार्य सिद्ध हो सकते हैं।
- अब की अब, जब की जब के साथ अर्थः सदा वर्तमान की ही चिन्ता करनी चाहिए
- अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागना अर्थः पूर्ण स्वतंत्र होना
- अपने झोपड़े की खैर मनाओ अर्थः अपनी कुशल देखो
- अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता/फोड़ता अर्थः अकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता।
- अक्ल के अंधे, गाँठ के पूरे अर्थः निर्बुद्धि धनवान्
- अक्ल बड़ी की भैंस अर्थः बुद्धि शारीरिक शक्ति से श्रेष्ठ होती है।
- अटका बनिया दे उधार अर्थः जिस बनिये का मामला फंस जाता है, वह उधार सौदा देता है।
- अति भक्ति चोर के लक्षण अर्थः यदि कोई अति भक्ति का प्रदर्शन करे तो समझना चाहिए कि वह कपटी और दम्भी है।
- अधजल/अधभर गगरी छलकत जाय अर्थः जिसके पास थोड़ा धन या ज्ञान होता है, वह उसका प्रदर्शन करता है।
- अधेला न दे, अधेली दे अर्थः भलमनसाहत से कुछ न देना पर दबाव पड़ने पर या फंस जाने पर आशा से अधिक चीज दे देना।
- अनदेखा चोर बाप बराबर अर्थः जिस मनुष्य के चोर होने का कोई प्रमाण न हो, उसका अनादर नहीं करना चाहिए।
- अनमांगे मोती मिले मांगे मिले न भीख अर्थः संतोषी और भाग्यवान् को बैठे-बिठाये बहुत कुछ मिल जाता है परन्तु लोभी और अभागे को मांगने पर भी कुछ नहीं मिलता।
- अपना घर दूर से सूझता है अर्थः अपने मतलब की बात कोई नहीं भूलता। या प्रियजन सबको याद रहते हैं।
- अपना पैसा सिक्का खोटा तो परखैया का क्या दोष? अर्थः यदि अपने सगे-सम्बन्धी में कोई दोष हो और कोई अन्य व्यक्ति उसे बुरा कहे, तो उससे नाराज नहीं होना चाहिए।
- अपना लाल गंवाय के दर-दर मांगे भीख अर्थः अपना धन खोकर दूसरों से छोटी-छोटी चीजें मांगना।
- अपना हाथ जगन्नाथ का भात अर्थः दूसरे की वस्तु का निर्भय और उन्मुक्त उपभोग।
- अपनी अक्ल और पराई दौलत सबको बड़ी मालूम पड़ती है अर्थः मनुष्य स्वयं को सबसे बुद्धिमान समझता है और दूसरे की संपत्ति उसे ज्यादा लगती है।
- अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग अर्थः सब लोगों का अपनी-अपनी धुन में मस्त रहना।
- अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है अर्थः अपने घर या मोहल्ले आदि में सब लोग बहादुर बनते हैं।
- अपनी फूटी न देखे दूसरे की फूली निहारे अर्थः अपना दोष न देखकर दूसरे के छोटे अवगुण पर ध्यान देना।
- अपने घर में दीया जलाकर तब मस्जिद में जलाते हैं अर्थः पहले स्वार्थ पूरा करके तब परमार्थ या परोपकार किया जाता है।
- अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता अर्थः अपनी चीज को कोई बुरा नहीं कहता।
- अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं दिखता अर्थः अपने किये बिना काम नहीं होता।
- अपने मुंह मियां मिळू अर्थः अपने मुंह से अपनी बड़ाई करने वाला व्यक्ति।
- अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत अर्थः काम बिगड़ जाने पर पछताने और अफसोस करने से कोई लाभ नहीं होता।
- अभी दिल्ली दूर है अर्थः अभी काम पूरा होने में देर है।
- अमीर को जान प्यारी, फकीर/गरीब एकदम भारी अर्थः अमीर विषय-भोग के लिए बहुत दिन जीना चाहता है, लेकिन खाने की कमी के कारण गरीब आदमी जल्द मर जाना चाहता है।
- अरध तजहिं बुध सरबस जाता अर्थः जब सर्वनाश की नौबत आती है तब बुद्धिमान लोग आधे को छोड़ देते हैं और आधे को बचा लेते हैं।
- अशर्फियों की लूट और कोयलों पर छाप/मोहर अर्थः बहुमूल्य पदार्थों की परवाह न करके छोटी-छोटी वस्तुओं की रक्षा के लिए विशेष चेष्टा करने पर उक्ति।
- अशुभस्य काल हरणम् अर्थः जहां तक हो सके, अशुभ समय टालने का प्रयत्न करना चाहिए।
- अहमक से पड़ी बात, काढ़ो सोटा तोड़ो दांत अर्थः मूर्खों के साथ कठोर व्यवहार करने से काम चलता है।
- आंख के अंधे नाम नयनसुख अर्थः नाम और गुण में विरोध होना, गुणहीन को बहुत गुणी कहना।
- आंखों के आगे पलकों की बुराई अर्थः किसी के भाई-बन्धुओं या इष्ट-मित्रों के सामने उसकी बुराई करना।
- आंखों पर पलकों का बोझ नहीं होता अर्थः अपने कुटुम्बियों को खिलाना-पिलाना नहीं खलता। या काम की चीज महंगी नहीं जान पड़ती।
- आंसू एक नहीं और कलेजा टूक-टूक अर्थः दिखावटी रोना।
- आई है जान के साथ जाएगी जनाजे के साथ अर्थः वह विपत्ति या बीमारी जो आजीवन बनी रहे।
- आ गई तो ईद बारात नहीं तो काली जुम्मे रात अर्थः पैसे हुए तो अच्छा खाना खायेंगे, नहीं तो रूखा-सूखा ही सही।
- आई मौज फकीर को, दिया झोपड़ा फूंक अर्थः विरक्त (बिगड़ा हुए) पुरुष मनमौजी होते हैं।
- आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास अर्थः जिस काम के लिए गए थे, उसे छोड़कर दूसरे काम में लग गए।
- आगे कुआं, पीछे खाई अर्थः दोनों तरफ विपत्ति होना।
- आगे नाथ न पीछे पगहा, सबसे भला कुम्हार का गदहा अर्थः जिस मनुष्य के कुटुम्ब में कोई न हो और जो स्वयं कमाता और खाता हो और सब प्रकार की चिंताओं से मुक्त हो।
- आठों पहर चौंसठ घड़ी अर्थः हर समय, दिन-रात।
- आठों गांठ कुम्मैत अर्थः पूरा धूर्त, घुटा हुआ।
- आत्मा सुखी तो परमात्मा सुखी अर्थः पेट भरता है तो ईश्वर की याद आती है।
- आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रहे न सारी पावे अर्थः अधिक लालच करना अच्छा नहीं होता; जो मिले उसी से सन्तोष करना चाहिए।
- आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए अर्थः जो आपका आदर न करे आपको भी उसका आदर नहीं करना चाहिए।
- आप जाय नहीं सासुरे, औरन को सिखि देत अर्थः आप स्वयं कोई काम न करके दूसरों को वही काम करने का उपदेश देना।
- आप तो मियां हफ्तहजारी, घर में रोवें कर्मों मारी अर्थः जब कोई मनुष्य स्वयं तो बड़े ठाट-बाट से रहता है पर उसकी स्त्री बड़े कष्ट से जीवन व्यतीत करती है तब ऐसा कहते हैं।
- आप मरे जग परलय अर्थः मृत्यु के बाद की चिन्ता नहीं करनी चाहिए।
- आप मियां मांगते दरवाजे खड़ा दरवेश अर्थः जो मनुष्य स्वयं दरिद्र है वह दूसरों को क्या सहायता कर सकता है?
- आ बैल मुझे मार अर्थः जान-बूझकर विपत्ति में पड़ना।
- आम के आम गुठलियों के दाम अर्थः किसी काम में दोहरा लाभ होना।
- आम खाने से काम, पेड़ गिनने से क्या काम? अर्थः जब कोई मतलब का काम न करके फिजूल बातें करता है तब इस कहावत का प्रयोग करते हैं।
- आया है जो जायेगा, राजा रंक फकीर अर्थः अमीर-गरीब सभी को मरना है।
- आरत काह न करै कुकरमू अर्थः दुःखी मनुष्य को भले और बुरे कर्म का विचार नहीं रहता।
- आस पराई जो तके, जीवित ही मर जाए अर्थः जो दूसरों पर निर्भर रहता है, वह जीवित रहते हुए भी मरा हुआ होता है।
- आस-पास बरसे, दिल्ली पड़ी तरसे अर्थः जिसे जरूरत हो, उसे न मिलकर किसी चीज का दूसरे को मिलना।
- इक नागिन अस पंख लगाई अर्थः किसी भयंकर चीज का किसी कारणवश और भी भयंकर हो जाना।
- इन तिलों में तेल नहीं निकलता अर्थः ऐसे कंजूसों से कुछ प्रप्ति नहीं होती।
- इच्छा है तो मिल जाएगी अर्थः इच्छा शक्ति और भगवान की कृपा से सब कुछ प्राप्त हो सकता है।
- इब्तिदा-ए-इश्क है, रोता है क्या, आगे-आगे देखिए, होता है क्या अर्थः अभी तो कार्य का आरंभ है; इसे ही देखकर घबरा गए, आगे देखो क्या होता है।
- इसके पेट में दाढ़ी है अर्थः इसकी अवस्था बहुत कम है तथापि यह बहुत बुद्धिमान है।
- इहां कुम्हड़ बतिया कोउ नाहीं, जो तर्जनि देखत मरि जाहीं अर्थः जब कोई झूठा रोब दिखाकर किसी को डराना चाहता है।
- इहां न लागहि राउरि माया अर्थः यहां कोई आपके धोखे में नहीं आ सकता।
- ईश रजाय सीस सबही के अर्थः ईश्वर की आज्ञा सभी को माननी पड़ती है।
- ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया अर्थः भगवान की माया विचित्र है। संसार में कोई सुखी है तो कोई दुःखी, कोई धनी है तो कोई निर्धन।
- उधरे अन्त न होहिं निबाह । कालनेमि जिमि रावण राहू।। अर्थः जब किसी कपटी आदमी को पोल खुल जाती है, तब उसका निर्वाह नहीं होता। उस पर अनेक विपत्ति आती है।
- उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय अर्थः छोटे व्यक्ति के पास यदि कोई ज्ञान है, तो उसे ग्रहण करना चाहिए।
- उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई अर्थः जब इज्जत ही नहीं है तो डर किसका?
- उधार का खाना और फूस का तापना बराबर है अर्थः फूस की आग बहुत देर तक नहीं ठहरती। इसी प्रकार कोई व्यक्ति बहुत दिनों तक उधार लेकर अपना खर्च नहीं चला सकता।
- उमादास जोतिष की नाई, सबहिं नचावत राम गोसाई अर्थः मनुष्य का किया कुछ नहीं होता। मनुष्य को ईश्वर की इच्छा के अनुसार काम करना पड़ता है।
- उल्टा चोर कोतवाल को डांटे अर्थः अपना अपराध स्वीकार न करके पूछने वाले को डांटने-फटकारने या दोषी ठहराने पर उक्ति(कथन)।
- उसी की जूती उसी का सिर अर्थः किसी को उसी की युक्ति(वस्तु)से बेवकूफ बनाना।
- ऊंची दुकान फीके पकवान अर्थः जिसका नाम तो बहुत हो, पर गुण कम हो।
- ऊंट के गले में बित्ली अर्थः अनुचित, अनुपयुक्त या बेमेल संबंध विवाह।
- ऊंट के मुंह में जीरा अर्थः बहुत अधिक आवश्यकता वाले या खाने वाले को बहुत थोड़ी-सी चीज देना।
- ऊंट-घोड़े बहे जाए, गधा कहे कितना पानी अर्थः जब किसी काम को शक्तिशाली लोग न कर सकें और कोई कमजोर आदमी उसे करना चाहे, तब ऐसा कहते हैं।
- ऊंट दूल्हा गधा पुरोहित अर्थः एक मूर्ख या नीच द्वारा दूसरे मूर्ख या नीच की प्रशंसा पर उक्ति(वाक्य/कथन)।
- ऊंट बर्राता ही लदता है अर्थः काम करने की इच्छा न रहने पर डर के मारे काम भी करते जाना और बड़बड़ाते भी जाना।
- ऊंट बिलाई ले गई, हां जी, हां जी कहना अर्थः जब कोई बड़ा आदमी कोई असम्भव बात कहे और दूसरा उसकी हामी भरे।
- एक अंडा वह भी गंदा अर्थः एक ही पुत्र, वही भी निकम्मा।
- एक आंख से रोना और एक आंख से हंसना अर्थः हर्ष(खुशी) और विषाद (दुःख) एक साथ होना।
- एक और एक ग्यारह होते हैं अर्थः मेल में बड़ी शक्ति होती है।
- एक जिन्दगी हजार नियामत है अर्थः जीवन बहुत बहुमूल्य होता है।
- एक तवे की रोटी, क्या पतली क्या मोटी अर्थः एक परिवार के मनुष्यों में या एक पदार्थ के कई भागों में बहुत कम अन्तर होता है।
- एक तो करेला (कड़वा) दूसरे नीम चढ़ा अर्थः कटु या कुटिल स्वभाव वाले मनुष्य कुसंगति में पड़कर और बिगड़ जाते हैं।
- एक (ही) थैले के चट्टे-बट्टे अर्थः एक ही प्रकार के लोग।
- एक न शुद, दो शुद अर्थः एक विपत्ति तो है ही दूसरी और सही।
- एक पथ दो काज अर्थः एक वस्तु या साधन से दो कार्यों की सिद्धि।
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- जो पी पी के खाय, उसी की लाठी काटे: जो व्यक्ति छोटी-छोटी चीजों पर लालच करता है, उसी को उनका दुष्परिणाम भोगना पड़ता है।
- जो फटकार के पैदा होता है वह बड़ा होकर लकड़ी ही खाता है: जिस बच्चे का संस्कार ठीक से न किया जाए, वह बड़ा होकर निकम्मा हो जाता है।
- जो मरजादा तुम्हारी, वही पैरवी मेरी: मैं तुम्हारी इज्जत के अनुसार ही व्यवहार करूंगा।
- जो मिले सो मैल, पाछे पछतावा हेल: जो कुछ मिल जाए उसी पर संतोष कर लेना चाहिए, बाद में पछताना व्यर्थ है।
- जो मीठा बोले, उसका मुंह मीठा होय: जो मीठी बातें करता है, उसका व्यवहार भी मधुर होता है।
- जो लोहा गरम है, उसी को कूटना चाहिए: जब समय अनुकूल हो तो काम करना चाहिए।
- जो हाथ दूध गंवाय उसी हाथ छाछ: जो अवसर गंवाता है, उसे दूसरा अवसर नहीं मिलता।
- झूठ बोलना मत सीखों क्योंकि बाद में उसी पर चलना पड़ेगा: अगर कोई झूठ बोलना शुरू कर देगा तो उसे आगे चलकर झूठ ही बोलना पड़ेगा।
- झूठे घर का बिछुआ न लेना, घिसटता फिरेगा: झूठे व्यक्तियों से सावधान रहना चाहिए, वे नुकसान पहुंचाते हैं।
- टपकता पानी भी पत्थर को छेद देता है: धैर्यपूर्वक लगातार प्रयास करने से कठिन से कठिन कार्य भी सम्पन्न हो जाता है।
- टाल मटोल करने से कोई काम नहीं बनता: कार्य को टालने से कुछ हासिल नहीं होता, जल्दी से काम करना चाहिए।
- ठंडा पड़ा तो सबके भाई, गरम हुआ तो सबके साथी छोड़ दिए: संकट के समय सब साथ छोड़ देते हैं, सुख में सब साथ देते हैं।
- ठेंगा दिखाकर मुसलमान को डराना: छल से किसी को डराना या धमकाना।
- डाल में कुछ काला है: किसी बात में गड़बड़ी है, कुछ ठीक नहीं है।
- डूबते को तिनके का सहारा: जब कोई बड़ी मुसीबत में फंस जाए तो छोटी-सी चीज का भी बहुत मोल हो जाता है।
- ढोल गंवार की खैर आंधी में बजी: अयोग्य व्यक्ति को अचानक कोई अवसर मिल गया हो।
- तलवार की धार पर चलना: बहुत बड़ा जोखिम उठाना।
- तू उसके मुंह की बात नहीं देखता: दूसरे की बातों पर विश्वास न करना चाहिए।
- थोथा चना बाजे घना: कुछ नहीं होने पर भी बहुत शोर मचाना।
- दाल में कुछ काला है: किसी बात में गड़बड़ है, कुछ अंदरूनी साजिश है।
- दिमाग की बत्ती जलनी चाहिए: बुद्धिमान होना चाहिए।
- दिल पर पत्थर रखकर चलना: अत्यंत निर्दयी होना।
- दीवार के कान होते हैं: गुप्त बातें फैल जाती हैं।
- दो आँखों में अंधा होना: सामने की बात न समझना।
- दो गज की जमीन भी गली नहीं गंवारने देती: छोटी-सी चीज भी स्वार्थी व्यक्ति नहीं छोड़ता।
- दो बैलों का बीच: किसी दो विरोधियों के बीच फंसना।
- दोनों गालों पर आंसू बहाना: दोहरा रोना।
- दौलत के आगे सब हार: दौलत के समक्ष सब कुछ लाचार होता है।
- धनी को मटकी और गरीब को छाछ: अमीरों को अच्छी चीजें और गरीबों को बुरी।
- धर में भी आग लगे और चुल्हे में भी: घर में और बाहर हर जगह मुसीबत हो।
- नगर बासी भोला नहीं: शहरवासी बहुत चालाक होते हैं।
- नाक के बल गिरना: बहुत निकट से बचना।
- नाक रगड़कर चलना: बहुत ही निर्धन होना।
- नाव अड़ी दो घाट पर: दो विरुद्ध स्थितियों के बीच फंसना।
- निगाह वालों से दरिया लहरावे: बहुत बुरी नजर वाले लोग नुकसान पहुंचाते हैं।
- नींद आई तो फिर क्या उजाला: जब मौत आ गई तो फिर कोई चिंता क्यों करें।
- नेता का कान खोलना: नेताओं के साथ पक्षपात करना शुरू कर देना।
- परदेसी निगुनिया गलहरिया में मिठाई: किसी अनजान से मिठाई लेना दूसरों को परेशानी में डालता है।
- परदेसी सांप को छिपकली समझना: अनजान को अपना समझना मूर्खता है।
- पराए घर की करनी आंगन की भरनी: दूसरे के घर का रिवाज देखकर उसे ही अपनाना चाहिए।
- जोरू न जांता, अल्लाह मियां से नाता: जो संसार में अकेला हो, जिसके कोई न हो।
- ज्यों-ज्यों भीजै कामरी, त्यों-त्यों भारी होय: जितना ही अधिक ऋण लिया जाएगा उतना ही बोझ बढ़ता जाएगा।
- ज्यों-ज्यों मुर्गी मोटी हो, त्यों-त्यों दुम सिकुड़े: ज्यों-ज्यों आमदनी बढ़े, त्यों-त्यों कंजूसी करे।
- ज्यों नकटे को आरसी, होत दिखाए क्रोध: जब कोई व्यक्ति किसी दोषी पुरुष के दोष को बतलाता है तो उसे बहुत बुरा लगता है।
- झगड़े की तीन जड़, जन, जमीन, जर: स्त्री, पृथ्वी और धन इन्हीं तीनों के कारण संसार में लड़ाई-झगड़े हुआ करते हैं।
- झट मँगनी पट ब्याह: किसी काम के जल्दी से हो जाने पर उक्ति।
- झटपट की धानी, आधा तेल आधा पानी: जल्दी का काम अच्छा नहीं होता।
- झड़बेरी के जंगल में बिल्ली शेर: छोटी जगह में छोटे आदमी बड़े समझे जाते हैं।
- झूठ के पांव नहीं होते: झूठा आदमी बहस में नहीं ठहरता, उसे हार माननी होती है।
- झूठ बोलने में सरफ़ा क्या: झूठ बोलने में कुछ खर्च नहीं होता।
- झूठे को घर तक पहुँचाना चाहिए: झूठे से तब तक तर्क-वितर्क करना चाहिए जब तक वह सच न कह दे।
साथ मे इनको भी पढे ।
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