Vachya

Vachya किसे कहते है ?

 

 वाक्य और वाच्य (Vachya)

वाक्य – शब्दों का वह सार्थक समूह जिससे एक विचार की स्पष्ट एवं पूर्ण अभिव्यक्ति होती हो, उसे वाक्य कहते हैं। भाव/भावार्थ के आधार पर भाषा की सबसे बड़ी एवं सबसे छोटी इकाई वाक्य होती है।  वाक्य के दो अंग होते हैं – उद्देश्य एवं विधेय। 

 

उद्देश्य – किसी वाक्य में जिस व्यक्ति या वस्तु के संबंध में कहा जाता है, उस व्यक्ति या वस्तु को दर्शाने वाले शब्दों को उद्देश्य कहते हैं। किसी वाक्य में कर्ता ही उद्देश्य होता है। कर्ता के विशेषण एवं कर्ता विस्तारक को भी उद्देश्य में ही शामिल किया जाता है। उदाहरण:- राम ने रावण को मारा। रवि दौड़ रहा है। आत्मा अमर है। उपरोक्त तीनों वाक्यों में ‘राम ने’, ‘रवि’ और ‘आत्मा’ उद्देश्य हैं, क्योंकि वाक्यों में इनके विषय में कुछ न कुछ कहा गया है।

 

विधेय – उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाता है, उसे दर्शाने वाले शब्दों को विधेय कहते हैं। किसी वाक्य में प्रस्तुत क्रिया, क्रिया का विस्तारक, कर्म, कर्म का विस्तारक विधेय के अंतर्गत आते हैं। उदाहरण:- राम ने रावण को मारा। रवि दौड़ रहा है। आत्मा अमर है। उपर्युक्त तीनों वाक्यों में ‘रावण को मारा’ ‘दौड़ रहा है’ और ‘अमर है’ विधेय है। 

 

वाक्य के तीन भेद होते हैं – रचना के आधार पर वाक्य के भेद, क्रिया के आधार पर वाक्य के भेद, अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद

 

रचना के आधार पर वाक्य के भेद – रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते हैं।

1.साधारण वाक्य, 2.संयुक्त वाक्य, 3.मिश्रित वाक्य

 

सरल /साधारण वाक्य – वे वाक्य जिनमें एक उद्देश्य तथा एक विधेय और एक क्रिया होती है, सरल वाक्य कहलाते हैं।  

उदाहरण – रवि पुस्तक पढ़ता है। सौरभ आइसक्रीम खाता है।  

 

संयुक्त वाक्य – जिन वाक्यों में एक से अधिक स्वतन्त्र अर्थात् प्रधान उपवाक्य होते हैं, वे संयुक्त वाक्य कहलाते हैं।

इसमें वाक्य संयोजक अव्ययों (और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, किन्तु, परन्तु आदि) से जुड़े होते हैं।  उदाहरण – सीता बीमार है इसलिए आज ऑफिस नहीं आई है। मुझे तैरना और दौड़ना पसंद है।

 

मिश्रित वाक्य – जिन वाक्यों में एक साधारण वाक्य तथा दूसरा आश्रित उपवाक्य हो, उसे मिश्र वाक्य कहते हैं।

आश्रित उपवाक्य कि, क्योंकि जैसा-वैसा, जो जहाँ-वहाँ, यदि, यद्यपि आदि से जुड़ा हुआ होता है।  उदाहरण – गांधीजी ने कहा कि सदा सत्य बोलो, हिंसा मत करो। रवि ने कहा कि वह मुंबई जा रहा है।

 

क्रिया के आधार पर वाक्य के भेद – क्रिया के आधार पर वाक्य के तीन भेद होते है। 

1.कर्तृ वाच्य, 2.कर्म वाच्य, 3.भाव वाच्य

 

वाच्य का शाब्दिक अर्थ है :- ” बोलने का विषय ” अतः क्रिया के जिस रुप से यह पता चले कि क्रिया का मुख्य विषय ‘कर्ता’ है ‘कर्म’ है अथवा ‘भाव’ है, उसे वाच्य कहते हैं। 

 

कर्तृवाच्य– जब वाक्य में क्रिया का संबंध सीधा कर्ता से होता है व क्रिया के लिंग, वचन, कर्ता, कारक के अनुसार प्रयुक्त होते हैं, उसे कर्तृवाच्य वाक्य कहते हैं। उदाहरण –  अनिल पुस्तक पढ़ता है। कोमल दौड़ती है। इन वाक्यों की क्रियाएँ पढ़ता है, दौड़ती है क्रमशः इन वाक्यों के कर्ताओं के लिंग और वचन के अनुसार है।

 

कर्मवाच्य – जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है तथा लिंग, वचन प्रायः कर्म के अनुसार होते हैं वे वाक्य कर्मवाच्य कहलाते हैं।  उदाहरण –  मुकेश के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है। बच्चों के द्वारा मिठाई बाँटी गई।  कहानी श्याम के द्वारा कही गई। पुस्तक, मिठाई और कहानी ये इन वाक्यों के कर्म हैं। इन वाक्यों की क्रियाएँ इन्हीं कर्म के लिंग और वचन के 

अनुसार ही प्रयोग हुई हैं। इसलिए ये कर्मवाच्य की क्रियाएँ हैं। 

 

भाववाच्य – जिस वाक्य में न तो कर्ता और न ही कर्म की प्रधानता हो, केवल भाव की प्रधानता हो, वे भाववाच्य कहलाते हैं।  उदाहरण – मोहन से टहला भी नहीं जाता। मुझसे उठा नहीं जाता। मुझसे सोया नही जाता। उक्त वाक्यों में कर्ता या कर्म प्रधान न होकर भाव मुख्य हैं, अतः इनकी क्रियाएँ भाववाच्य का उदाहरण हैं।

 

क्रिया के प्रयोग

जिसमें क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्त्ता के अनुसार होते हैं, क्रिया के उस प्रयोग को ‘कर्तृ प्रयोग’ कहते हैं। 

इसमें वर्तमान काल और भविष्यत काल में कर्ता, विभक्ति-चिह्न रहित होता है। जैसे- पंकज खत लिखता है। सुशीला फूल तोड़ेगी

 

कर्मिणी प्रयोग- जब क्रिया कर्म के लिंग वचन और पुरुष के अनुसार होते हो तो, वह कर्मिणी प्रयोग कहलाता है। जैसे- 

जैसे- उमेश ने पुस्तक पढ़ी। सुशीला ने फूल तोड़ा

 

भावे प्रयोग- इसमें क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता या कर्म के आश्रित नहीं होते, अपितु क्रिया सदा अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन में होती है। भाववाच्य की सभी क्रियाएँ भावे प्रयोग में आती हैं। जैसे-  अनीता ने पेड़ को सींचा। 

 

अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद – अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद होते हैं

1.विधानवाचक वाक्य 2. प्रश्नवाचक वाक्य 3.आज्ञावाचक वाक्य 4.संदेहवाचक वाक्य 5.नकारात्मक वाक्य 6.इच्छावाचक  वाक्य 7.विस्मयवाचक वाक्य  8.संकेतवाचक वाक्य

 

विधानवाचक वाक्य – ऐसे वाक्य जिनसे किसी काम के होने या किसी के अस्तित्व का बोध हो, वह वाक्य विधानवाचक वाक्य कहलाता है। जैसे-  प्रयाग में गंगा नदी बहती है। राधा मेरी सहेली है। 

 

प्रश्नवाचक वाक्य-  जिन वाक्यों में प्रश्न पूछा जाता है तथा जिनमें कुछ उत्तर पाने की जिज्ञासा रहती है, उसे प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-  आप कहाँ जा रहे हो?  तुम कल विद्यालय क्यों नहीं आए?

 

आज्ञावाचक वाक्य- जिन वाक्यों से आज्ञा, आदेश, अनुमति या अनुरोध का बोध हो, उन्हें आज्ञावाचक कहते हैं।

जैसे- किताब के पेज मत फाड़ो। कृपया, बायें चलें। 

 

संदेहवाचक वाक्य- ऐसे वाक्य जिनसे कार्य के होने-न होने के प्रति संदेह या संभावना प्रकट होती है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते है। जैसे- अब शायद बारिश बंद हो जाए। अब तक फ़सल कट चुकी होगी।

 

निषेधवाचक या नकारात्मक वाक्य- जिन वाक्यों से क्रिया न होने या न किए जाने का भाव प्रकट होता है, उसे नकारात्मक वाक्य कहते हैं।  जैसे-  मैंने दूध नहीं पिया। कविता ने पाठ नहीं याद किया है।

 

इच्छावाचक वाक्य-  जिन वाक्यों में वक्ता की इच्छा, कामना, आशीर्वाद आदि का भाव प्रकट होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं। जैसे- ईश्वर करे, सब कुशल लौटें। मित्र जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयाँ।

 

विस्मयवाचक वाक्य- ऐसे शब्द जो वाक्य में आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा आदि भाव व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त हों, उन्हें विस्मय वाचक वाक्य कहलाते हैं। ऐसे शब्दों के साथ विस्मयादिबोधक चिह्न (!) का प्रयोग किया जाता है। जैसे- अरे!, ओह!, शाबाश!, काश!  उदाहरण-   छिः! कितना गन्दा दृश्य। शाबाश! बहुत अच्छे।

 

संकेतवाचक वाक्य – जिन वाक्यों में एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर करता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे- यदि वर्षा होगी, तो फ़सल अच्छी होगी। यदि परिश्रम किया है, तो सफलता अवश्य मिलेगी। 

 

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