Sangya

संज्ञा (Sangya ) की परिभाषा

 

संज्ञा (Sangya)

किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण, जाति, भाव, क्रिया, द्रव्य आदि का ज्ञान कराने वाले शब्द या नाम को संज्ञा कहा जाता है। 

उदाहरण–: सीता (व्यक्ति), आगरा (स्थान), पुस्तक (वस्तु), सोना (क्रिया), क्रोधित (भाव), पशु (जाति) आदि।

संज्ञा के कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण – 

राम एक बुद्धिमान बालक है। 

यह किताब उसकी है। 

पीतल के बर्तन में खाना बनाओ। 

मैं उस से प्रेम करता हूं। 

टेबल पर अंगूर का गुच्छा पड़ा है। 

 

 व्युत्पत्ति के आधार पर  संज्ञा  के  तीन  भेद होते  हैं :- (1)  रूढ़ शब्द         (2)   यौगिक शब्द       (3)  योगरूढ़ शब्द 

  1. रूढ़ शब्द  – जो शब्द हमेशा किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हो तथा जिनके खण्डों का कोई अर्थ न निकले, उन्हें ‘रूढ़’ शब्द कहते है। जैसे-  राज , रोग ,  सागर  , विद्या इत्यादि । 

रूढ़ संज्ञा के  खंड करने पर—

रूढ़ संज्ञा              निरर्थक खंड

 राज                         रा + ज          

 रोग                         रो + ग

सागर                       सा + गर

 विद्या                       वि + द्या  

 स्पष्ट है कि रूढ़  संज्ञा का खंड करने पर उसका कोई अर्थ नहीं निकलता  हैं।      

  1. यौगिक शब्द   – जो शब्द अन्य शब्दों के योग से बने हो तथा जिनके प्रत्येक खण्ड का कोई अर्थ हो, उन्हें यौगिक शब्द कहते है। जैसे- विद्यालय ,  विद्यासागर  ,  राजरोग। 

यौगिक संज्ञा  का खंडन करने पर — 

यौगिक  शब्द                    सार्थक खंड

विद्यालय                    विद्या + आलय (विद्या = बुद्धि, ज्ञान; आलय = घर)

राजरोग                     राज + रोग (राज = राजा – संबंधी; रोग = बीमारी)

स्पष्ट है कि अगर उनका खंडन  किया जाए, तो कुछ-न-कुछ अर्थ अवश्य निकलता है।

 

  1. योगरूढ़ शब्द  –  योगरूढ़  ऐसी  यौगिक संज्ञा  होती  हैं, जो अपने सामान्य साधारण अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ ग्रहण करते हैं।

जैसे–   लम्बोदर (गणेशजी) ,  पंकज (कमल) ,  गिरिधारी (श्रीकृष्ण)  ,  वीणापाणि (सरस्वती) ,  हलवर (बलराम)

योगरूढ़ शब्द                                 साधारण अर्थ                                  विशेष अर्थ

पंकज (पंक + ज)                         कीचड़ में जन्मा                                         कमल

लम्बोदर (लम्बा + उदर)               लम्बा पेटवाला                                           गणेश

अर्थ के आधार पर संज्ञा के मुख्यतः पांच भेद होते हैं :-

(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा  (2) जातिवाचक संज्ञा  (3) भाववाचक संज्ञा (4) समूहवाचक संज्ञा  (5) द्रव्यवाचक संज्ञा ।  

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा – जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान और वस्तु के नाम का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।  

जैसे -: संध्या, रामायण, जयपुर,  उत्तर आदि।  

व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण – 

व्यक्तियों के नाम –  रमेश, नीरज, कृष्ण, अंशुल, शुभम आदि। 

महीनों के नाम  – जनवरी, फरवरी, चैत्र, बैशाख आदि । 

पर्वतों के नाम   – हिमालय, आल्पस, सतपुड़ा आदि ।  

महासागरों के नाम – हिन्द महासागर, काला सागर, लाल सागर आदि ।

 

देवी देवताओं के नाम –  हनुमान, सीता, लक्ष्मी, कृष्ण, ब्रम्हा, विष्णु, पार्वती। 

स्त्रियों के नाम  –  निकिता,  रश्मि,  शगुन,  रेशमा ,  कृतिका , अंकिता आदि। 

धार्मिक ग्रंथों के नाम – रामायण, गीता, महाभारत आदि । 

राज्यों के नाम  –  राजस्थान,  दिल्ली,  गुजरात,  हिमाचल प्रदेश,  उत्तर प्रदेश।  

देशों  के नाम  – भारत, अमेरिका, चीन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल आदि। 

खाड़ी एवं झीलों के नाम –  बंगाल की खाड़ी, नक्की झील, पिछोला झील आदि। 

महाद्वीप के नाम –  एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, अंटार्कटिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया आदि। 

दुर्ग एवं किलों  के नाम –  रणथम्भौर दुर्ग,  चित्तौड़ दुर्ग,  नाहरगढ़,  चुरू का किला,  कुम्भलगढ़,  गुजरी महल आदि। 

ऐतिहासिक दरवाजे एवं खिड़कियों के नाम –  इंडिया गेट, सांगानेरी गेट,  अजमेरी गेट, बीचली खिड़की आदि। 

भाषाओं के नाम –  हिंदी, गुजरती, अंग्रेजी, नेपाली, फ्रेंच, जापानी, उर्दू आदि । 

उपाधियों  एवं पुरस्कारों के नाम –  डॉक्टर, भारत रत्न, पद्म भूषण, पद्म श्री ,पद्म विभूषण, सम्राट,  महाराजा आदि। 

पठारों  एवं मैदानों के नाम  –  हाड़ौती का पठार, छप्पन का मैदान, मालवा का पठार, दक्कन का पठार आदि। 

दिशाओं के नाम    –   पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण आदि। 

खेलों के नाम  –  क्रिकेट,  चेस, बास्केटबॉल,  हॉकी,  फुटबॉल ,  बैटमिंटन, टेनिस आदि। 

समाचार पत्रों के नाम –  दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, हिसार ट्रेंड्स , द हिन्दू, इंडियन एक्सप्रेस आदि। 

जिले, तहसील और गाँवों  के नाम –  चूरू, अजमेर, जयपुर, भोपाल, इंदौर आदि। 

पहाड़ों एवं पर्वतों के नाम  –  अरावली, हिमालय, एवरेस्ट आदि। 

त्योहारों के नाम –   होली, दीवाली, ईद, क्रिसमस, रक्षाबंधन, दशहरा आदि। 

ऐतिहासिक युद्धो के नाम –  हल्दी घाटी का युद्ध, कलिंग का युद्ध, खानवा का युद्ध, तराइन का युद्ध, पानीपत का युद्ध आदि। 

ऐतिहासिक घटनाओं के नाम – 1857 की क्रांति, जलियाँवाला बाग हत्याकांड, चौरी – चौरा कांड आदि आदि। 

चौकों के नाम –  चाँदनी चौक, भीमराव आंबेडकर चौक, चंद्रशेखर आजाद चौक, भगत सिंह चौक आदि । 

  1. जातिवाचक संज्ञा – जिन शब्दों  से एक जाति के सभी प्राणियों अथवा वस्तुओं का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।  

जैसे-: बच्चा ,जानवर, नदी, अध्यापक आदि । 

जाति वाचक संज्ञा के कुछ उदाहरण – 

फल-फूल एवं सब्जियों   के  नाम –   आम, केला, जूही, चमेली, आलू,  आदि।  

पशु-पक्षी एवं कीट-पतंगों के नाम –  गाय, बैल, तोता, मैना, चींटी, आदि।

सगे – संबंधियों के नाम –  भाई, बहन, चाचा, चाची, आदि।

खाद्य-पदार्थों के नाम –  चावल, दाल, मिठाई, हींग, दालचीनी, आदि।

घरेलू सामानों के नाम –    पंखा,  आलमारी , परदा, आदि।

सवारी गाड़ियों  के नाम –  बैलगाड़ी, नाव,नौकायान, हवाई जहाज, रेल, साइकिल, आदि।

प्राकृतिक वस्तुओं के नाम –  नदी, तालाब, झील, तारा, ग्रह, आदि।  

  1. समूहवाचक संज्ञा- जिन संज्ञा शब्दों से किसी भी व्यक्ति या वस्तु के समूह का बोध हो ,उसे समूहवाचक संज्ञा कहते  हैं।  

जैसे -: सेना, पुलिस, पुस्तकालय, दल, समिति, आयोग, परिवार, आदि आदि।  

  1. द्रव्यवाचक संज्ञा – जिन शब्दों से किसी तरल, ठोस, अधातु, धातु, पदार्थ, द्रव्य आदि का बोध हो ,उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते  हैं।

जैसे-: दूध, तेल, घी, पानी आदि। 

  1. भाववाचक संज्ञा- जिन शब्दों  से पदार्थों की अवस्था, गुण-दोष, भाव या दशा, धर्म आदि का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते  हैं।

जैसे-: मिठास, खटास, धर्म, थकावट, मोटापा, मित्रता, सुन्दरता, बचपन, परायापन, अपनापन, बुढ़ापा, प्यास, भूख, मानवता, मुस्कुराहट, नीचता, क्रोध, चोरी आदि। 

गुण – संबंधी –  सौन्दर्य, माधुर्य, अच्छाई, चतुराई, आदि।

दोष – संबंधी –  बुराई, लड़ाई, ठगाई, आदि।

स्वाद – संबंधी –  खटास, मिठास, आदि।

क्रिया – संबंधी –  घबराहट, सजावट, लिखावट, आदि।

गति – संबंधी –  सुस्ती, फुरती, बढ़ती, आदि।

माप – संबंधी –  लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई, गहराई, आदि।

अवस्था – संबंधी –  बुढ़ापा, लड़कपन, बचपन, आदि।

भाव – संबंधी –   मित्रता, शत्रुता, मूर्खता, आदि।

भावना – संबंधी –  प्रेम, घृणा, दया, करुणा, आदि।

विषय – संबंधी –   इतिहास, भूगोल, रसायनशास्त्र, अंकगणित, आदि।

सिद्धांत या वाद – संबंधी –  गुरुत्वाकर्षण, जड़ता, साम्यवाद, पूँजीवाद, आदि।

  

संज्ञा भेदों मे  परिवर्तन:-

भाववाचक संज्ञा का निर्माण-

भाववाचक संज्ञा के प्रकार –  ये पाँच प्रकार के शब्दों से बनी होती हैं-

(i) जातिवाचक संज्ञा से

(ii) विशेषण से

(iii) क्रिया से

(iv) सर्वनाम से

(v) अव्यय से

भाववाचक संज्ञा का निर्माण जातिवाचक संज्ञा से, विशेषण से, क्रिया से और सर्वनाम शब्द से होता है। जैसे-

जातिवाचक संज्ञा                       भाववाचक संज्ञा

मनुष्य                                        मनुष्यता

बच्चा                                         बचपन

राष्ट्र                                           राष्ट्रीयता

मित्र                                          मित्रता

भाई                                          भाईचारा

नेता                                          नेतृत्व

 

विशेषण                              भाववाचक संज्ञा

सुन्दर                                    सुन्दरता

मीठा                                      मिठास

ताजा                                      ताजगी

भोला                                     भोलापन

अच्छा                                   अच्छाई

 

क्रिया                                भाववाचक संज्ञा

मारना                                 मार

सीखना                               सीख

पढ़ना                                 पढ़ाई  

 

सर्वनाम                      भाववाचक संज्ञा

अपना                          अपनत्व  

मित्र                              मित्रता

 

अव्यय                         भाववाचक

अधिक                        अधिकता

ऊपर                          ऊपरी

तेज़                             तेज़ी

दूर                              दूरी

निकट                          निकटता

नित्य                            नित्यता

 

व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक के रुप में प्रयोग-

 

जब किसी व्यक्ति विशेष के गुण दूसरे व्यक्ति में भी बताए जाएँ, तब व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयुक्त होती है।

जैसे :

 

  1. वह तो विभीषण निकला, अपनों को ही धोखा दे गया। 

(विभीषण  – घर का भेदी लंका ढाए)

 

  1. वह तो वीर अर्जुन है, गुरु के लिए कुछ भी कर सकता है।

(अर्जुन – गुरुभक्ति के रूप में)

 

3.आज भी भारत में श्रवण कुमार जैसे पुत्र हैं।

(श्रवण कुमार – माता-पिता की भक्ति के रूप में)

 

जातिवाचक संज्ञा व्यक्तिवाचक के रूप में

 

जब कोई जातिवाचक संज्ञा पूरी जाति का बोध न कराकर केवल व्यक्ति-विशेष का बोध कराए, तब जातिवाचक संज्ञा व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाती है।

जैसे :

 

1.पंडित जी आजाद भारत के पहले प्रधानमन्त्री थे। (पंडित जी –  जवाहरलाल नेहरू)

 

2.नेता जी ने देश के लिए अपना बलिदान दिया। (नेता जी –  सुभाषचन्द्र बोस)

 

  1. महात्मा जी का नाम कौन नहीं जानता? (महात्मा –  गाँधी जी)

 

संज्ञा से संबंधित विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नोत्तर – 

 

* व्युत्पत्ति  के आधार पर संज्ञा के कितने भेद होते है? – तीन 

* ‘कवि’ शब्द मे कौन सी संज्ञा है ? – जातिवाचक संज्ञा 

*’गाय’ कौन सी संज्ञा है ? – जाती वाचक 

* “ गांधी को राष्ट्रपिता कहा गया है।” वाक्य में  संज्ञा किससे किस रूप मे परिवर्तित हो रही है – जातिवाचक से व्यक्तिवाचक । 

* ‘बाप’ का संबंधवाचक संज्ञा रूप है – बपौती 

उचित की भाववाचक सज्ञा क्या है ? – औचित्य 

* क्रिया से बनने वाली भाववाचक संज्ञा है – थकावट 

* समूह वाचक संज्ञाएँ है – सभा, कक्षा, भीड़ 

* ‘सजाना’ की भाववाचक संज्ञा – सजावट 

* पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण किस प्रकार की सज्ञाएँ है – व्यक्तिवाचक संज्ञा 

* ‘उचित’ शब्द की भाववाचक संज्ञा है – औचित्य 

 

 

 

 

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